एक नए अध्ययन में यह पाया गया है कि यादें स्थिर नहीं रहती है वे नियमित रूप से फिर से लिखी जाती हैं। हम इसको इस तरह से समझ सकते हैं कि हमारे दिमाग एक फैक्ट्री है जहां कि यादें बनाई, संग्रहीत और जब हमारा मन करे तब निकाली जाती है। हालांकि, विज्ञान यह कहता है कि मौजूदा पर्यावरण के अनुरूप हमारी यादें लगातार बदलती रहती है। यादों का इस तरह से अप़डेट होते रहना हमारे दिमाग को नई जानकारियों को लेने में मदद करता है।
Northwestern University के शोधकर्ताओं ने वर्तमान में दिमाग का स्कैन करके और आई ट्रैकिंग डिवाइस की मदद से यह समझने की कोशिश की किस तरह से हमारे दिमाग के अंदर यादें दुबारा लिखी जाती है। इस बारे में अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों की टीम ने 17 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया। जिन्हें कि विभिन्न पृष्ठभूमि वाली 168 तरह की वस्तुएं दिखाई गई। उसके बाद उन्हें उन्हीं में से कुछ पृष्ठभूमि का एक सेट दुबारा दिया गया कुछ ऑब्जेक्ट्स दिए गए जिनको कि पिछली पृष्ठभूमि से मिलाना था।
उन्होंने पाया कि दुबारा वो ही बैकग्राउंड देखने के बाद उनके दिमाग में पहली बार देखने वाले बैकग्राउंड के सीन खत्म हो गए थे और इस बार उनके दिमाग में कुछ नई मेमोरी के सीन नई जानकारी के साथ अपडेट हो गए थे।
इस दौरान वैज्ञानिकों ने लोगों के ब्रैन का भी स्कैन किया जिसमें शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि मस्तिष्क इस दौरान किस तरह से काम करता है। वैज्ञानिकों ऩे अंत में कहा कि हमारी मेमोरी कोई वीडियो कैमरा नहीं है बल्कि हमारी मेमोरी नियमित तौर पर नई फ्रेम में जाती है और रोज होने वाले इवेंट को वर्तमान के हिसाब से बनाकर हमारे दिमाग में स्टोर होती है।
इस दौरान वैज्ञानिकों ने लोगों के ब्रैन का भी स्कैन किया जिसमें शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि मस्तिष्क इस दौरान किस तरह से काम करता है। वैज्ञानिकों ऩे अंत में कहा कि हमारी मेमोरी कोई वीडियो कैमरा नहीं है बल्कि हमारी मेमोरी नियमित तौर पर नई फ्रेम में जाती है और रोज होने वाले इवेंट को वर्तमान के हिसाब से बनाकर हमारे दिमाग में स्टोर होती है।
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